दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि राज्य सरकार आगामी मानसून सत्र में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक नया विधेयक पेश करेगी। यह कदम अभिभावकों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों और शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री गुप्ता ने बताया कि विधेयक में फीस बढ़ोतरी पर नजर रखने के लिए तीन-स्तरीय सत्यापन प्रणाली का प्रावधान होगा। इसके तहत स्कूलों को फीस में बदलाव से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी होगी। नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
विधेयक के अनुसार, यदि किसी स्कूल में फीस वृद्धि या अन्य वित्तीय अनियमितताओं को लेकर शिकायत दर्ज करानी है तो कम से कम 15% अभिभावकों का समर्थन आवश्यक होगा। आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे "लगभग असंभव शर्त" बताते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर अभिभावकों का समर्थन जुटाना कठिन होगा, जिससे शिकायत दर्ज करना मुश्किल हो जाएगा।
और पढ़ें: दिल्ली में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और झुग्गीवासियों के लिए 10 लाख घरों की योजना: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
सरकार का कहना है कि यह बिल निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली रोकने और अभिभावकों को राहत देने के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे स्कूलों में वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन 15% समर्थन की शर्त अभिभावकों के अधिकारों को सीमित कर सकती है।
विधेयक पर विधानसभा में चर्चा के बाद इसे लागू करने की उम्मीद है, जिससे दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जा सकेगा।
और पढ़ें: यूक्रेन के ड्रोन हमले से रूस के सोची में तेल डिपो में लगी आग, हवाई यातायात रोकाः गवर्नर