चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों को चेतावनी दी है कि वे ‘वोट चोरी’ जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल न करें और अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करें। आयोग ने कहा कि इस तरह की भाषा न केवल देश के करोड़ों मतदाताओं का अपमान है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया में शामिल लाखों कर्मचारियों की ईमानदारी और मेहनत पर भी सीधा प्रहार है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि विपक्ष के पास किसी भी तरह की गड़बड़ी या धांधली के ठोस प्रमाण हैं तो उन्हें सामने रखा जाए, ताकि जांच की जा सके। लेकिन बिना सबूत के लगाए गए आरोप जनता के बीच भ्रम पैदा करते हैं और लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाते हैं।
आयोग ने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों की साझा जिम्मेदारी है। इस प्रक्रिया में लगे अधिकारी और कर्मचारी कड़ी मेहनत से काम करते हैं और उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाना गलत है।
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चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों से आग्रह किया कि वे चुनाव सुधारों और प्रक्रिया की पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए रचनात्मक सुझाव दें, बजाय इसके कि “गंदी भाषा” का प्रयोग कर संस्थानों पर हमला करें। आयोग का यह बयान ऐसे समय आया है जब कई विपक्षी दल लगातार चुनावी सूची और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
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