विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया इस समय अनिश्चित दौर से गुजर रही है, जहां सामूहिक रूप से एक निष्पक्ष और प्रतिनिधिक वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान वैश्विक ढांचा कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें असमानताएं, भू-राजनीतिक तनाव और बहुपक्षीय संस्थानों में असंतुलन शामिल है।
जयशंकर ने कहा कि आज के समय में कई देश यह समझ चुके हैं कि मौजूदा व्यवस्था वैश्विक दक्षिण के हितों को पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं देती। उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से इस बदलाव का समर्थन करता आया है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थान समय के अनुरूप सुधारे जाएं।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि नई विश्व व्यवस्था केवल शक्तिशाली देशों के हित में नहीं होनी चाहिए बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकासशील और छोटे देशों की आवाज भी समान रूप से सुनी जाए। उन्होंने बहुपक्षीय सहयोग, संवाद और पारदर्शिता को मजबूत करने पर बल दिया।
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जयशंकर ने कहा कि वैश्विक स्थिरता और न्यायसंगत विकास के लिए यह ज़रूरी है कि हम मौजूदा व्यवस्था में सुधार लाएं। भारत, ब्रिक्स और जी-20 जैसे मंचों पर लगातार यह मांग उठाता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय शासन में संतुलन और निष्पक्षता लाई जाए।
अंत में, उन्होंने कहा कि दुनिया को एक ऐसी वैश्विक प्रणाली की ज़रूरत है जो समय की बदलती परिस्थितियों के अनुरूप, अधिक न्यायपूर्ण, प्रतिनिधिक और समावेशी हो।
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