संसद में हुई कार्यवाही के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रोजगार सृजन और निवेश बढ़ाने में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि इस कदम से विदेशी निवेशकों को अधिक भागीदारी का अवसर मिलेगा, जिससे बीमा क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ेगा। इससे न केवल बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बीमा सेवाओं का विस्तार भी संभव होगा।
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि बीमा क्षेत्र में निवेश को Insurance Act, 1938 के तहत नियंत्रित किया जाता है, जिसमें सुरक्षा, तरलता और नियामकीय निगरानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। यह कानून बीमा कंपनियों के निवेश को पॉलिसीधारकों के हितों के अनुरूप बनाए रखने पर जोर देता है।
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उन्होंने बताया कि एफडीआई सीमा बढ़ाने से देश में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, क्योंकि बीमा कंपनियां नए उत्पाद, डिजिटल सेवाएं और ग्राहक सहायता केंद्र स्थापित करने में सक्षम होंगी। इसके अलावा, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और पॉलिसी विकल्प मिलेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य भारत को बीमा सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विदेशी निवेश से बीमा उद्योग में तकनीकी नवाचार, बेहतर जोखिम प्रबंधन और सेवा गुणवत्ता में सुधार आएगा।
इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने भी अपने विचार रखे, हालांकि सरकार का मानना है कि यह कदम देश की आर्थिक वृद्धि और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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