अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 में भारत की विकास दर (GDP growth) 6.6% रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, IMF ने अगले वर्ष के लिए अपने अनुमान में कमी की है। यह संकेत देता है कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों में कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।
IMF ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी टिप्पणी की है और कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (शुल्क) और व्यापार नीतियों का प्रभाव उम्मीद से कम रहा है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका की टैरिफ नीतियों के बावजूद वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर अपेक्षित दबाव इतना गंभीर नहीं पड़ा जितना पहले अनुमान लगाया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में निरंतर सुधार और घरेलू मांग की मजबूती ने विकास दर को स्थिर बनाए रखने में मदद की है। कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में निवेश और उपभोग में वृद्धि ने भी आर्थिक विकास को सहारा दिया है।
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IMF की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, उच्च ऊर्जा और खाद्य मूल्यों, तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण अगले वर्ष भारत की विकास दर पर दबाव पड़ सकता है। ऐसे में नीति निर्माताओं के लिए सतर्क रहना और उचित आर्थिक कदम उठाना आवश्यक है।
IMF की इस भविष्यवाणी से यह स्पष्ट होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर है, लेकिन वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच सतत विकास बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
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