मुंबई में आयोजित ‘रिवाइटलाइजिंग इंडिया’s मैरिटाइम मैन्युफैक्चरिंग कॉन्फ्रेंस’ के दौरान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत की तेज़ आर्थिक प्रगति की जड़ें उसकी ऊर्जा और समुद्री शक्ति में निहित हैं। उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों को राष्ट्र के विकास के दो प्रमुख स्तंभ बताया।
पुरी ने कहा कि भारत की $4.3 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लगभग आधा हिस्सा व्यापार से आता है, जिससे शिपिंग का महत्व और बढ़ जाता है। भारत की कच्चे तेल की खपत अब 5.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है और जल्द ही यह 6 मिलियन बैरल हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि आने वाले 20 वर्षों में वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में भारत का योगदान 30% रहेगा।
उन्होंने बताया कि भारत वर्तमान में 88% कच्चा तेल और 51% गैस आयात करता है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा में शिपिंग की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों ने पिछले पांच वर्षों में 8 अरब डॉलर विदेशी जहाज किराए पर लेने में खर्च किए हैं, जबकि यही धनराशि घरेलू टैंकर बेड़े के निर्माण में लग सकती थी।
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वर्तमान में केवल 20% व्यापारिक माल भारतीय झंडे वाले या भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों से ढोया जाता है। सरकार Ship Owning and Leasing (SOL) मॉडल, Maritime Development Fund, और Shipbuilding Financial Assistance Policy 2.0 जैसी पहलें कर रही है ताकि घरेलू जहाज निर्माण को प्रोत्साहन मिले।
पुरी ने बताया कि 2014 से अब तक भारत की पोर्ट क्षमता दोगुनी हो चुकी है, जिससे कार्गो हैंडलिंग तेज़ और टर्नअराउंड टाइम कम हुआ है। सागरमाला परियोजना के तहत ₹5.5 लाख करोड़ से अधिक का निवेश बंदरगाह आधुनिकीकरण और तटीय संपर्क के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत के कोचीन, मजगांव, जीआरएसई और एचएसएल शिपयार्ड अब विश्वस्तरीय जहाज बना रहे हैं और 2047 तक समुद्री क्षेत्र में ₹8 ट्रिलियन का निवेश और 1.5 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य है।
पुरी ने अंत में कहा कि भारत अपने महासागरों को “समृद्धि का मार्ग” मानता है और हरित शिपिंग तथा आत्मनिर्भर जहाज निर्माण की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है
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