भारत ने अगस्त महीने में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाते हुए 20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) तेल खरीदा, जो अब तक का एक महत्वपूर्ण स्तर है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब भारत ने इराक से कच्चे तेल की खरीद घटा दी, जो अब घटकर 7.3 लाख बैरल प्रतिदिन रह गई है।
ऊर्जा व्यापार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रूस से आयात बढ़ाने का मुख्य कारण रियायती दाम और स्थिर आपूर्ति है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत लगातार रूसी कच्चे तेल को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राथमिकता दे रहा है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है, सस्ती आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपने स्रोतों में विविधता लाने की रणनीति अपना रहा है।
इराक लंबे समय से भारत का एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन अगस्त में वहाँ से आयात में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। ऊर्जा विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव भारत के लिए लागत घटाने और वैश्विक बाजार के अस्थिर हालात में लचीलेपन की दिशा में उठाया गया कदम है।
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भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि घरेलू उत्पादन सीमित है और ऊर्जा की खपत तेजी से बढ़ रही है। रूस से आयात बढ़ाने के इस कदम से यह संकेत मिलता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।
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