भारत में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate-IMR) में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश की शिशु मृत्यु दर 25 तक आ गई है, जो वर्ष 2013 में 40 थी। यह उपलब्धि स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों और बेहतर पोषण योजनाओं के कारण संभव हो सकी है।
हालांकि, आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि विभिन्न राज्यों में शिशु मृत्यु दर में असमानता बनी हुई है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में यह दर सबसे अधिक 37 दर्ज की गई है, जबकि मणिपुर ने मात्र 3 की दर के साथ देश में सबसे कम शिशु मृत्यु दर दर्ज की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अभी भी सुधार की काफी गुंजाइश है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता, कुपोषण और गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच की कमी अभी भी बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं।
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केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर शिशु मृत्यु दर को और कम करने के लिए योजनाओं पर काम कर रही हैं। विशेष रूप से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, टीकाकरण अभियानों और पोषण योजनाओं को और मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
मणिपुर जैसे राज्यों का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि यदि स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जाए, तो शिशु मृत्यु दर को बेहद कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि उच्च IMR वाले राज्यों को ऐसे राज्यों से सीख लेकर अपने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना चाहिए।
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