भारत ने लिपुलेख क्षेत्र पर नेपाल के दावों को सख्ती से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि नेपाल के दावे न तो उचित हैं और न ही किसी ऐतिहासिक तथ्य या प्रमाण पर आधारित। यह बयान उस समय आया जब भारत और चीन ने हाल ही में सीमा बिंदुओं के माध्यम से व्यापार फिर से शुरू किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि लिपुलेख भारत का अभिन्न अंग है और इस पर नेपाल के किसी भी दावे का कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े सभी ऐतिहासिक दस्तावेज और समझौते भारत की संप्रभुता की पुष्टि करते हैं।
नेपाल ने हाल ही में यह दावा किया था कि लिपुलेख और उससे सटे कुछ इलाके उसके भूभाग का हिस्सा हैं। इस दावे को लेकर नेपाल सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई और भारत से इस क्षेत्र में किसी भी तरह की गतिविधि न करने की अपील की।
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विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत अपने संप्रभु अधिकारों और हितों की रक्षा करना जानता है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना भारत की प्राथमिकता है, लेकिन यह भारत की भौगोलिक अखंडता के साथ समझौता करके नहीं होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि लिपुलेख को लेकर नेपाल की राजनीतिक बयानबाजी का मकसद घरेलू समर्थन जुटाना है। वहीं भारत का रुख साफ है कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक, भौगोलिक और प्रशासनिक दृष्टि से भारत का हिस्सा है।
यह विवाद एक बार फिर भारत-नेपाल संबंधों में तनाव को उजागर करता है, हालांकि भारत ने द्विपक्षीय संवाद के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
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