लद्दाख को राज्य का दर्जा और जनजातीय अधिकारों की संवैधानिक गारंटी की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान कई लोगों के मारे जाने और दर्जनों के घायल होने की आशंका जताई गई। घटनास्थल पर भारी तनाव फैल गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने दावा किया है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और शांति बहाल करने के प्रयास जारी हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी लंबे समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों को मजबूत संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की मांग कर रहे थे। शांतिपूर्ण रैली अचानक हिंसक हो गई, जिससे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इसके परिणामस्वरूप शहर के कई हिस्सों में अफरा-तफरी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं।
केंद्र सरकार ने स्थानीय प्रशासन को हालात संभालने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजने के निर्देश दिए। साथ ही, सरकार ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की मांगों पर विचार किया जा रहा है और बातचीत के जरिए समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि घायल लोगों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और उनका इलाज जारी है।
और पढ़ें: लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग पर सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बॉडी का उपवास
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना लद्दाख की जनता में गहरी असंतोष की भावना को दर्शाती है, जो 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से राजनीतिक अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रही है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और आगे किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सतर्कता बरती जा रही है।
और पढ़ें: मैनहटन में आव्रजन केंद्र के बाहर विरोध, दर्जनों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार; चुने हुए अधिकारी भी शामिल