लोकसभा में भारतीय बंदरगाह विधेयक पारित कर दिया गया, जबकि विपक्षी सदस्य बिहार मतदाता सूची विवाद को लेकर सदन में जोरदार हंगामा करते रहे। यह विधेयक ध्वनिमत से पारित किया गया, क्योंकि विपक्षी सांसद लगातार नारेबाजी में लगे रहे और चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची से जुड़े कथित गड़बड़ियों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की। उनका आरोप था कि बिहार में विशेष पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जो लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
स्पीकर ने हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित कराने की प्रक्रिया पूरी कराई। ध्वनिमत से पारित हुए भारतीय बंदरगाह विधेयक का उद्देश्य देश के बंदरगाहों के संचालन, विकास और नियमन के लिए एक आधुनिक और समग्र कानूनी ढांचा तैयार करना है। यह विधेयक पुराने "भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908" की जगह लेगा और इसमें सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और बंदरगाह प्रबंधन के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
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सरकार का कहना है कि नया विधेयक देश में बंदरगाह अवसंरचना को सशक्त करेगा, व्यापार को सुगम बनाएगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा। हालांकि, विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने इसे पर्याप्त चर्चा के बिना जल्दबाजी में पारित किया।
हंगामे के कारण सदन का माहौल शोरगुल से भरा रहा और कई सांसदों ने अपने विरोध के संकेत स्वरूप तख्तियां और पोस्टर लहराए। इसके बावजूद, विधेयक पारित हो गया और अब यह राज्यसभा में विचार के लिए भेजा जाएगा।
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