मद्रास हाईकोर्ट में दायर एक लोकहित याचिका (PIL) के जरिए तमिलनाडु पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रभारी के रूप में जी. वेंकटरमन की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नियुक्ति पुलिस सेवा नियमों और वरिष्ठता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी. अरुल मुरुगन की खंडपीठ द्वारा 8 सितंबर 2025 को की जाएगी। अदालत ने मामले को प्रथम श्रेणी में सूचीबद्ध किया है, जिससे इस पर जल्द ही विचार संभव है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि वेंकटरमन की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही और कई वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी की गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह की नियुक्तियां न केवल पुलिस व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं, बल्कि शासन प्रणाली की निष्पक्षता को भी प्रभावित करती हैं।
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राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सरकार ने वेंकटरमन को उनकी प्रशासनिक दक्षता और अनुभव के आधार पर यह जिम्मेदारी सौंपी है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का फैसला भविष्य में डीजीपी जैसी संवेदनशील नियुक्तियों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। यदि अदालत नियुक्ति को अवैध मानती है, तो राज्य सरकार को नए सिरे से चयन करना पड़ सकता है।
यह मामला ऐसे समय में उठा है जब तमिलनाडु पुलिस प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अपराध नियंत्रण के लिए मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है। अब सबकी निगाहें 8 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अदालत तय करेगी कि वेंकटरमन की नियुक्ति बरकरार रहेगी या नहीं।
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