महाराष्ट्र सरकार ने निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के दैनिक कार्य घंटों को 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे करने की योजना बनाई है। राज्य कैबिनेट ने इसके लिए संबंधित श्रम कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस फैसले का उद्देश्य निवेश आकर्षित करना, रोजगार सृजित करना और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना बताया गया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस कदम से राज्य को औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियों के लिए और अधिक अनुकूल वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि इससे बड़े निवेशक महाराष्ट्र में नए प्रोजेक्ट्स लाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
हालांकि, श्रमिक संगठनों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि कार्य घंटे बढ़ने से कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। श्रमिक नेताओं का मानना है कि सरकार को कामकाज के घंटे बढ़ाने के बजाय कार्य स्थितियों में सुधार और वेतन संरचना पर ध्यान देना चाहिए।
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सरकार का दावा है कि संशोधन के साथ-साथ श्रमिकों के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी। यह भी कहा गया है कि साप्ताहिक कार्य घंटे तय सीमा से अधिक नहीं होंगे और कर्मचारियों को आवश्यक विश्राम अवधि दी जाएगी।
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला राज्य की आर्थिक नीतियों के अनुरूप है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों के हितों का संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होगा।
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