मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि वह संसद में सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है, जिनमें हालिया ऑपरेशन सिंदूर भी शामिल है। यह सत्र सोमवार, 21 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है।
सरकार ने कहा कि वह विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर विचार-विमर्श के पक्ष में है, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि कोई भी बहस संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के भीतर ही होनी चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री ने बैठक में कहा कि सरकार संवाद और बहस से नहीं डरती, बशर्ते वह अनुशासित और नियमबद्ध ढंग से हो।
इसी बीच एक अलग सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि बिहार के 58% से अधिक दलित मतदाता बेरोजगारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं। यह आंकड़ा राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर गहरी चिंता को दर्शाता है। सर्वे में यह भी बताया गया कि लगभग 27.4% दलित मतदाता चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते।
इन दोनों घटनाक्रमों ने आगामी संसद सत्र और राजनीतिक चर्चाओं को और भी गर्मा दिया है। जहां एक ओर सरकार खुद को चर्चा के लिए तैयार बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है।
इस प्रकार, यह सत्र विपक्ष और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।