कतर की सम्प्रभु निधि (Qatar Investment Authority - QIA) ने एडटेक कंपनी बायजु के संस्थापक बायजु रवींद्रन के खिलाफ 235 मिलियन डॉलर के मध्यस्थता (Arbitral) पुरस्कार को लागू कराने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब वैश्विक स्तर पर बायजु की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन पर गहन निगरानी रखी जा रही है।
QIA के अनुसार, यह विवाद सितंबर 2022 से जुड़ा है, जब उसकी सहायक कंपनी कतर होल्डिंग ने बायजुज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (BIPL) को 150 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण (loan financing) प्रदान किया था। इस ऋण की व्यक्तिगत गारंटी खुद बायजु रवींद्रन ने दी थी। लेकिन समझौते के अनुसार भुगतान न होने के कारण मामला मध्यस्थता तक पहुंचा और अब QIA इस निर्णय को लागू करने की कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर याचिका में QIA ने अनुरोध किया है कि मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक 235 मिलियन डॉलर की वसूली सुनिश्चित की जाए। यह मामला बायजु की पहले से बिगड़ी वित्तीय स्थिति को और कठिन बना सकता है, क्योंकि कंपनी हाल के वर्षों में कर्ज़ पुनर्गठन, निवेशकों के दबाव और कर्मचारियों की छंटनी जैसे गंभीर संकटों से जूझ रही है।
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बायजु रवींद्रन की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मामले की अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि क्या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पुरस्कार को भारत में लागू किया जा सकता है और यदि हाँ, तो इसकी वसूली की प्रक्रिया किस प्रकार होगी।
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