राज्य सरकार ने रन्या राव मामले से जुड़े घटनाक्रम के बीच एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेते हुए रामचंद्र राव को पुनः पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय के पद पर नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति संकेत देती है कि सरकार इस संवेदनशील प्रकरण में प्रशासनिक और कानूनी दृष्टि से सख्ती बरतना चाहती है।
रामचंद्र राव पहले भी इस पद पर कार्य कर चुके हैं और नागरिक अधिकारों से संबंधित मामलों के निपटारे में उनके अनुभव और दक्षता के कारण उन्हें फिर से इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है। नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय का मुख्य कार्य समाज के कमजोर और हाशिये पर खड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और भेदभाव संबंधी मामलों में कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
रन्या राव मामला हाल के दिनों में सुर्खियों में रहा है, जिसमें प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठे। ऐसे में रामचंद्र राव की नियुक्ति को इस दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि उनके नेतृत्व में विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और मजबूती आएगी।
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सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार चाहती है कि इस मामले में सभी जांच और कानूनी प्रक्रियाएं तेजी से और निष्पक्ष तरीके से पूरी हों। रामचंद्र राव के पास इस क्षेत्र में लंबे समय का अनुभव है और उन्होंने पहले भी कई संवेदनशील मामलों में प्रभावी कार्रवाई की है।
इस पुनर्नियुक्ति को प्रशासनिक स्थिरता और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो आने वाले समय में विभाग की कार्यक्षमता पर सीधा असर डालेगा।
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