सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला आईपीएस अधिकारी को उसके अलग रह रहे पति और ससुराल पक्ष से बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह निर्देश एक पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान दिया।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि महिला अधिकारी और उसके माता-पिता ने अपने आचरण से पति और उसके परिवार के प्रति अनुचित व्यवहार किया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि महिला अधिकारी और उसके माता-पिता, दोनों को बिना शर्त माफीनामा प्रस्तुत करना होगा।
मामले में पति ने आरोप लगाया था कि महिला अधिकारी और उसके परिवार ने उसे और उसके परिवार को झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश की। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवादों में आपसी सम्मान और गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है, विशेषकर तब जब मामला न्यायालय में लंबित हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सुलह और संवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रहनी चाहिए, और इस तरह का माफीनामा एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
अब सभी पक्षों को अगली सुनवाई से पहले अदालत में माफीनामा दाखिल करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत भी दिया कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
यह फैसला पारिवारिक विवादों के समाधान में न्यायपालिका की समझदारी और संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है।