भारत और यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर 24 जुलाई को लंदन में आधिकारिक तौर पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों देशों ने इस वर्ष 6 मई को समझौते के लिए बातचीत सफलतापूर्वक पूरी करने की घोषणा की थी।
यह ऐतिहासिक समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देगा। समझौते के तहत व्यापारिक शुल्कों में कटौती, सेवाओं और वस्तुओं के आयात-निर्यात को बढ़ावा, निवेश को प्रोत्साहन और व्यापार नियमों को सरल बनाना शामिल है। इससे न केवल दोनों देशों के व्यापारिक समुदाय को लाभ मिलेगा, बल्कि लाखों नौकरियों और नए निवेश के अवसर भी सृजित होंगे।
भारत सरकार के अधिकारियों के अनुसार, यह एफटीए भारतीय उद्योगों, खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी और ऑटो सेक्टर के लिए लाभकारी साबित होगा। वहीं, ब्रिटेन को भारत के तेजी से बढ़ते बाजार में प्रवेश का बड़ा अवसर मिलेगा।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री और भारतीय वाणिज्य मंत्री इस अवसर पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन भी कर सकते हैं। यह समझौता ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन की वैश्विक व्यापार रणनीति का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है, जबकि भारत इसे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' मिशनों के तहत एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहा है।
राजनयिक और व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत-ब्रिटेन रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती देगा और वैश्विक मंच पर दोनों देशों की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाएगा।