भारत सरकार ने पांच वर्षों के अंतराल के बाद एक अहम कदम उठाते हुए चीनी नागरिकों को पर्यटन वीजा जारी करने की अनुमति देने का फैसला किया है। यह निर्णय दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच लिया गया है, जो कि 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद काफी प्रभावित हुए थे।
चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के इस फैसले का स्वागत किया और इसे “सकारात्मक कदम” करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच जनसंपर्क और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और परस्पर विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी।
हालांकि, चीन ने यारलुंग सांगपो (जो भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है) पर बनाए जा रहे डैम को लेकर भारत सहित अन्य डाउनस्ट्रीम देशों की चिंताओं को खारिज कर दिया। चीनी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह परियोजना चीन की संप्रभुता के दायरे में पूरी तरह वैध है और वह संबंधित देशों के साथ जल संसाधनों को लेकर सहयोग कर रहा है।
भारत ने पहले इस डैम के संभावित पर्यावरणीय और सामरिक प्रभावों को लेकर चिंता जताई थी, क्योंकि ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख नदी है। हालांकि, फिलहाल दोनों देश इस मुद्दे पर टकराव से बचते हुए राजनयिक संवाद के जरिए हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जो द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित कर सकता है।