सुप्रीम कोर्ट ने अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के सोशल मीडिया पोस्ट की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि SIT “अपने रास्ते से भटक रही है” और प्रोफेसर को बार-बार समन भेजने की कोई जरूरत नहीं है।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को हाल ही में एक पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के चयन पर टिप्पणी की थी। इस पोस्ट पर दो एफआईआर दर्ज की गई थीं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि जांच का दायरा सिर्फ इन दो एफआईआर तक ही सीमित है। अदालत ने SIT से पूछा कि वह “गंभीर विषयों को समझे बिना” अनावश्यक रूप से प्रोफेसर को परेशान क्यों कर रही है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रोफेसर अब किसी भी विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, जब तक वह मामला अदालत में विचाराधीन है, उससे संबंधित न हो। कोर्ट ने SIT को निर्देश दिया कि वह चार हफ्तों के भीतर जांच पूरी करे।
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जांच एजेंसियों के आचरण को लेकर एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चा में आ गया है।