सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए हालिया फैसले पर आस्थगन (stay) लगा दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को फिलहाल आत्मसमर्पण (surrender) करने की आवश्यकता नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में की गई कुछ टिप्पणियां, महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के तहत चल रहे अन्य मामलों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसी के आधार पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश जारी किया और कहा कि दोषियों को तब तक आत्मसमर्पण नहीं करना होगा जब तक कि शीर्ष अदालत इस मामले की अगली सुनवाई नहीं करती।
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यह मामला उन दोषियों से जुड़ा है जिन्हें 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के मामले में दोषी ठहराया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कुछ दोषियों की सजाएं कम करते हुए कुछ कानूनी टिप्पणियां की थीं, जिन पर राज्य सरकार ने आपत्ति जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय, विशेष रूप से MCOCA जैसे संवेदनशील कानूनों की वैधानिक व्याख्या से जुड़े मामलों में, आने वाले समय में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द घोषित करने की बात कही है।
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