अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 25% टैरिफ गुरुवार से प्रभाव में आ गए हैं। ये शुल्क अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को प्रभावित कर रहे हैं, जिनमें भारत प्रमुख रूप से शामिल है। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” व्यापार नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा करना और व्यापार घाटा कम करना है।
हालांकि इन टैरिफ के प्रभाव से भारत के निर्यात पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से एशियाई शेयर बाजारों में तेजी देखी गई। टोक्यो, हांगकांग और सियोल के शेयर सूचकांकों में उछाल दर्ज किया गया, जो दर्शाता है कि निवेशकों ने इस फैसले को पहले ही बाजार में समाहित कर लिया था या इसे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर सीमित प्रभाव वाला माना जा रहा है।
भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों में स्टील, एल्युमिनियम, मशीनरी, वस्त्र, मसाले और कृषि उत्पाद शामिल हैं। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में प्रतिस्पर्धा को कठिन बना सकता है और निर्यात पर सीधा असर डालेगा।
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भारत सरकार ने फिलहाल इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन व्यापार मंत्रालय स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि टैरिफ और बढ़ते हैं, तो भारत को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से समाधान तलाशना होगा या बदले की कार्रवाई पर विचार करना पड़ सकता है।
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