पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को फिर से शुरू करने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की अनिच्छा बनी हुई है। हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मनरेगा बहाल करने का आदेश दिया था, लेकिन दोनों ही सरकारें इसे लागू करने में आगे नहीं बढ़ रही हैं।
जानकारी के अनुसार, राज्य में रोजगार की भारी कमी के कारण प्रवासी संकट गहराता जा रहा है। लाखों लोग काम की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। स्थानीय संगठनों और श्रमिक यूनियनों का कहना है कि अगर मनरेगा को तत्काल बहाल नहीं किया गया, तो ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक संकट और बढ़ जाएगा।
केंद्र सरकार का आरोप है कि राज्य सरकार ने मनरेगा फंड में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है, जिसके चलते 2022 से फंड रोक दिए गए थे। वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र राजनीतिक कारणों से फंड जारी नहीं कर रहा और इससे गरीब मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश में कहा कि रोजगार गारंटी योजना को बहाल करना आवश्यक है ताकि ग्रामीण मजदूरों को तत्काल राहत मिल सके। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से मिलकर समाधान निकालने की अपील भी की थी।
इसके बावजूद, दोनों सरकारों की निष्क्रियता के कारण ग्रामीण मजदूरों में आक्रोश बढ़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मनरेगा जल्द शुरू नहीं हुआ तो इसका सीधा असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है।
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