चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन के साथ बीजिंग में बैठक तय की है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्योंगयांग के तानाशाह किम से दोबारा मिलने की इच्छा जता रहे हैं।
किम का बीजिंग में सैन्य परेड में शामिल होना और पुतिन के साथ एक मंच साझा करना शी के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। शी लंबे समय से यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि चीन न केवल आर्थिक शक्ति है बल्कि वैश्विक राजनीति का भी अहम खिलाड़ी है।
ट्रंप के टैरिफ़ कदमों से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक रिश्तों में उथल-पुथल आई, जबकि शी ने चीन को स्थिर व्यापारिक भागीदार के रूप में पेश करने पर जोर दिया। इसके साथ ही, यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए पुतिन से अमेरिकी प्रयास विफल रहे हैं, जबकि शी उन्हें सीधे बीजिंग बुलाने में सफल रहे हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि शी अब यह संकेत दे रहे हैं कि उनके पास इस भू-राजनीतिक खेल में अहम पत्ते हैं। हालांकि उनका प्रभाव सीमित है, लेकिन किम और पुतिन दोनों पर उनका असर किसी भी संभावित समझौते में निर्णायक हो सकता है।
ट्रंप के पिछले प्रयास, जिनमें दो ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन हुए थे, किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंचे। अब जब वे फिर से कोशिश कर रहे हैं, शी जिनपिंग उन्हें पीछे छोड़ते हुए खुद को वैश्विक मध्यस्थ के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
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