भारतीय थलसेना प्रमुख ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि भूमि भारत की विजय की कुंजी है और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में इसका केंद्रीय स्थान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य के किसी भी संघर्ष में भारत की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भूमि पर नियंत्रण और प्रभुत्व किसके पास होगा।
थलसेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि स्थल-युद्ध का महत्व आज भी कम नहीं हुआ है, भले ही तकनीक, ड्रोन, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष आधारित रणनीतियाँ आधुनिक युद्धक्षेत्र को बदल रही हों। उनके अनुसार, भूमि पर नियंत्रण न केवल रणनीतिक दृष्टि से बल्कि राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी निर्णायक होता है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय सेना सीमाओं पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। चाहे वह उत्तरी सीमाओं पर चीन से संबंधित जटिल स्थिति हो या पश्चिमी सीमाओं पर पाकिस्तान से लगातार उत्पन्न तनाव, भारतीय सेना की प्राथमिकता भूमि की रक्षा और उस पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखना है।
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इसके साथ ही, थलसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि सेना लगातार आधुनिकीकरण और तकनीकी उन्नयन की दिशा में काम कर रही है। लेकिन अंततः सैनिकों की दृढ़ इच्छाशक्ति और जमीन पर उनकी उपस्थिति ही निर्णायक भूमिका निभाएगी।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भारत की बदलती सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है। यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत अपनी रक्षा नीति में भूमि को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
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