रविवार (2 नवंबर 2025) को चेन्नई में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में हुई एक बहुदलीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
बैठक में हिस्सा लेने वाले दलों ने भारतीय चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और तमिलनाडु की जनता के हितों के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि जब तक बिहार में चल रहे इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक किसी अन्य राज्य में इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना अनुचित है।
बैठक में यह भी कहा गया कि मतदाता सूची में संशोधन की यह कवायद जल्दबाजी में और पारदर्शिता के अभाव में की जा रही है, जिससे जनता के मतदान अधिकारों पर असर पड़ सकता है। राजनीतिक दलों ने यह भी शंका जताई कि इस प्रक्रिया के माध्यम से विशेष समुदायों या मतदाताओं को सूची से बाहर करने की साजिश हो सकती है।
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मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी “अनुचित या जल्दबाजी भरे कदम” को कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि डीएमके और उसके सहयोगी दल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे, ताकि तमिलनाडु में SIR को रोका जा सके।
यह मुद्दा अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है, क्योंकि विपक्षी दल इसे राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से किया गया कदम मान रहे हैं।
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