भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि यूपीआई (UPI) लेन-देन पर किसी भी प्रकार का शुल्क लगाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यूपीआई को सरकार और आरबीआई एक सार्वजनिक डिजिटल सेवा के रूप में देखते हैं, जिसका उद्देश्य देशभर में डिजिटल भुगतान को सरल और सुलभ बनाना है।
मल्होत्रा ने यह भी बताया कि डिजिटल भुगतान प्रणाली भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा, “यूपीआई ने न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में भी तेज़ी से विस्तार किया है। आज हर वर्ग के लोग इसका उपयोग कर रहे हैं, और यही डिजिटल इंडिया की वास्तविक शक्ति है।”
आरबीआई गवर्नर ने भारत की आर्थिक स्थिति पर विश्वास जताते हुए कहा कि देश “बहुत ऊँची विकास दर की राह पर है।” उनके अनुसार, मजबूत घरेलू खपत, डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार और बढ़ता निवेश भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति बनाने की दिशा में ले जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और आरबीआई का लक्ष्य है कि डिजिटल भुगतान को हर व्यक्ति की पहुंच तक लाया जाए और इसके लिए यूपीआई जैसी तकनीकें बेहद महत्वपूर्ण हैं।
इस बयान से उन आशंकाओं पर विराम लग गया है कि आने वाले समय में यूपीआई लेन-देन पर शुल्क लगाया जा सकता है। फिलहाल, इसका उपयोग उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए पूरी तरह निःशुल्क रहेगा।