इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी अदालत के दस्तावेजों पर थूक का इस्तेमाल करने वाले रजिस्ट्री कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाई है। पीठ ने इस प्रथा को “घिनौना” और “अस्वच्छ” बताया और रजिस्ट्री तथा कानून के अधिकारियों को इसे रोकने के निर्देश दिए।
अदालत ने कहा कि कोर्ट के दस्तावेज कानूनी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और उनके साथ इस तरह का असंवेदनशील और अस्वास्थ्यकर व्यवहार बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री कर्मचारियों को चेतावनी दी कि इस तरह की प्रथाओं को तत्काल समाप्त किया जाए और भविष्य में किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि रजिस्ट्री और संबंधित अधिकारियों को कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत के सभी दस्तावेज सुरक्षित और स्वच्छ रहें। अदालत ने कहा कि दस्तावेजों के साथ सही व्यवहार न केवल स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिहाज से आवश्यक है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनाए रखने के लिए भी अनिवार्य है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का यह आदेश कानून अधिकारियों और कर्मचारियों को कानूनी और पेशेवर आचार संहिता के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने जोर दिया कि ऐसी प्रथाओं को रोकने के लिए सतत निगरानी और कड़े अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएं।
इस घटना ने न्यायालयों में दस्तावेजों की सुरक्षा और स्वच्छता के महत्व को उजागर किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह का अस्वच्छ व्यवहार न्याय प्रणाली की साख को प्रभावित कर सकता है और इसलिए इसे रोकना अनिवार्य है।
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