केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को माओवादियों के युद्धविराम (सीजफायर) प्रस्ताव को ठुकराते हुए दोहराया कि सरकार मार्च 2026 तक हिंसक नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘नक्सल मुक्त भारत’ विषयक संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने स्पष्ट कहा कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है। उन्होंने आश्वस्त किया कि हथियार डालने वालों पर सुरक्षा बल एक भी गोली नहीं चलाएंगे। शाह ने कहा, “भ्रम फैलाने के लिए हाल ही में पत्र लिखा गया कि युद्धविराम हो और हम आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। मैं साफ कहना चाहता हूं, कोई युद्धविराम नहीं होगा। आत्मसमर्पण करना है तो हथियार डालें, सरकार पूरी मदद करेगी।”
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों के लिए “रेड कार्पेट वेलकम” और आकर्षक पुनर्वास नीति उपलब्ध है। उन्होंने वाम दलों पर आरोप लगाया कि उनकी वैचारिक मदद से वामपंथी उग्रवाद पनपा। विकास की कमी के दावे को खारिज करते हुए शाह बोले कि दशकों तक “लाल आतंक” ने ही विकास को रोका।
और पढ़ें: मन की बात में PM मोदी: आरएसएस के 100 वर्ष पूरे, खादी अपनाने का आह्वान
शाह ने ऐतिहासिक संदर्भ में बताया कि वामपंथी उग्रवाद की शुरुआत 1960 के दशक में पश्चिम बंगाल से हुई थी। हाल में सुरक्षा बलों के ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट सहित कई अभियानों में शीर्ष नक्सली मारे गए।
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद केवल हत्याएं रोकने से खत्म नहीं होगा, बल्कि उसके विचारधारात्मक समर्थकों की पहचान भी जरूरी है। शाह ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और नक्सलवाद जड़ से समाप्त होगा।
और पढ़ें: जीएसटी कटौती के बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को मिली 3,000 शिकायतें