सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि अपराध के पीड़ित और उनके वारिस आरोपी के बरी होने के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अपराध पीड़ित के अधिकार को उसी स्तर पर रखा जाना चाहिए जिस स्तर पर दोषसिद्ध आरोपी के अधिकार को रखा जाता है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि न्याय केवल आरोपी के लिए ही नहीं, बल्कि पीड़ित और उसके परिवार के लिए भी सुनिश्चित होना चाहिए। अदालत ने कहा कि यदि कोई आरोपी निचली अदालत से बरी हो जाता है, तो पीड़ित या उसके वारिस को उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार है। यह प्रावधान न्याय व्यवस्था में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
अदालत ने यह भी कहा कि अपराध से प्रभावित व्यक्ति की पीड़ा और उसके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती। न्यायिक प्रणाली का उद्देश्य केवल आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई देना नहीं, बल्कि पीड़ित को भी न्याय दिलाना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि जब दोषी व्यक्ति को सज़ा के खिलाफ अपील करने का अधिकार है, तो यह अधिकार पीड़ित या उसके वारिस को भी मिलना चाहिए। न्याय का संतुलन दोनों पक्षों के अधिकारों के बीच समान रूप से होना चाहिए।
यह फैसला न्यायपालिका के दृष्टिकोण में पीड़ितों की भूमिका को मजबूत करता है और उन्हें अदालतों में अपनी आवाज़ उठाने का वैधानिक अधिकार प्रदान करता है।
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