केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद में प्रस्ताव लाने के लिए 100 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह प्रस्ताव संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में लाया जा सकता है।
रिजिजू ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत, किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं। फिलहाल, लोकसभा के सदस्यों की ओर से यह संख्या पूरी कर ली गई है, जिससे प्रस्ताव लाने का रास्ता साफ हो गया है।
उन्होंने कहा, “यह कोई हल्की प्रक्रिया नहीं है। किसी भी न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया बेहद गंभीर और संवैधानिक होती है। इस प्रस्ताव को लाने से पहले सभी कानूनी पहलुओं पर विचार किया गया है।”
सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा पर दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं। इस पर संसद की जांच समिति भी गठित की जा सकती है, जो आरोपों की विस्तृत जांच करेगी।
इस तरह का प्रस्ताव अगर संसद में पारित होता है तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। विपक्षी दलों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है, जबकि सरकार का कहना है कि प्रक्रिया पूरी तरह से संवैधानिक ढंग से अपनाई जा रही है।