रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सरकार को भारत के साथ बढ़ते व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं और दोनों देशों ने कभी एक-दूसरे के साथ तनाव या गंभीर विवाद का सामना नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं का सम्मान करते हुए नीतिगत फैसले लिए हैं।
पुतिन ने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा समय में भारत और रूस के बीच व्यापार संतुलन असमान है। रूस से भारत को ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निर्यात हो रहा है, जबकि भारत से रूस को निर्यात की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। उन्होंने कहा कि इस असमानता को दूर करना बेहद जरूरी है ताकि व्यापारिक रिश्ते दीर्घकालिक और टिकाऊ बन सकें।
रूसी राष्ट्रपति ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे भारत से आयात बढ़ाने के लिए नए अवसर तलाशें। इसमें फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि उत्पाद और उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा, उन्होंने निवेश को प्रोत्साहित करने और संयुक्त परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर भी जोर दिया।
और पढ़ें: ट्रंप का बयान: पुतिन के साथ धैर्य अब खत्म हो रहा है
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का यह कदम भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करेगा, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत, रूस से कच्चे तेल और रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि रूस के लिए भारत एशिया का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है।
भारत और रूस दोनों ही आने वाले वर्षों में अपने आर्थिक संबंधों को नए आयाम देने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं। पुतिन की पहल से इस दिशा में सकारात्मक परिणाम देखने की उम्मीद है।
और पढ़ें: पुतिन बोले – ज़ेलेंस्की मॉस्को आएं तो मिलने को तैयार