सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने पर ज़ोर देते हुए आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करें। अदालत ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण अब केवल योजनाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसके क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
न्यायालय ने साफ किया कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है और इस पर तात्कालिक तथा दीर्घकालिक दोनों स्तरों पर समाधान की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सभी संबंधित एजेंसियां आपसी तालमेल और पारदर्शिता के साथ काम करें।
हालांकि, अदालत ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, सीएक्यूएम और सीपीसीबी में पदोन्नति से जुड़े रिक्त पदों को भरने के लिए छह महीने का समय दिया है। कोर्ट का कहना था कि संस्थागत ढांचा मज़बूत करना भी उतना ही आवश्यक है, ताकि कार्ययोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में यह एक गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट का रूप ले चुकी है। इसलिए सभी राज्यों और केंद्र सरकार को मिलकर व्यापक रणनीति बनानी होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश प्रदूषण से निपटने के लिए एक सख्त संदेश है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि तीन सप्ताह में एजेंसियां कैसी और कितनी प्रभावी योजना पेश करती हैं।
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