संघीय लेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार ने कुल ₹3.69 लाख करोड़ से अधिक सीस (cess) की राशि को संबंधित और नामित कोषों में ट्रांसफर नहीं किया है। यह कमी विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में सामने आई है और इसकी जड़ें 1974 में लगाए गए सीस तक जाती हैं।
सीस एक विशेष कर होता है जो सरकार द्वारा किसी खास उद्देश्य के लिए लगाया जाता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य या सड़क निर्माण। इस राशि को उस विशेष उद्देश्य के लिए अलग नामित कोष में जमा करना होता है, ताकि उसका सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि कई दशकों से केंद्र ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिससे नामित कोषों में आवश्यक धनराशि नहीं पहुंच सकी। इससे उन क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर असर पड़ा, जिनके लिए यह सीस लगाया गया था।
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इस देरी और राशि के न ट्रांसफर होने के पीछे विभिन्न सरकारों की लापरवाही और निगरानी की कमी का भी योगदान है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी चूक न हो।
सरकार को अब इस रिपोर्ट के आधार पर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे, ताकि सीस की राशि सही कोषों में समय पर जमा हो और उसका लाभ जनता तक पहुंच सके। इसके साथ ही पारदर्शिता बढ़ाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम लागू करने की भी आवश्यकता है।
यह मामला वित्तीय प्रशासन और सरकारी जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है, जो नीति निर्माताओं और आम जनता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
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