जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) 1.55% पर आ गई है, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे कम स्तर है। यह दर जून 2017 के बाद का सबसे निचला आंकड़ा है, जब महंगाई दर 1.46% रिकॉर्ड की गई थी।
इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता और कुछ क्षेत्रों में कमी रही। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे आम जनता को राहत मिलेगी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
महंगाई दर में यह कमी केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति फैसलों और सरकार की प्रभावी आर्थिक नीतियों का सकारात्मक परिणाम मानी जा रही है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों में गिरावट ने भी घरेलू महंगाई पर दबाव कम किया है।
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हालांकि, विश्लेषकों ने यह भी चेतावनी दी है कि आगामी महीनों में मौसम, वैश्विक आर्थिक स्थिति और घरेलू मांग के आधार पर महंगाई में उतार-चढ़ाव संभव है। इसलिए, सरकार और रिजर्व बैंक को सतर्क रहकर नीति बनानी होगी ताकि महंगाई नियंत्रण में बनी रहे।
महंगाई के इस निचले स्तर से उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ेगी और यह आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि बहुत कम महंगाई भी आर्थिक मंदी का संकेत हो सकती है, इसलिए संतुलित वृद्धि बनाए रखना आवश्यक है।
सरकार ने कहा है कि वह लगातार महंगाई पर नजर रखेगी और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाएगी ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।
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