वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली, क्योंकि व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता और विदेशी फंड के लगातार बाहर जाने से निवेशकों की धारणा कमजोर हुई। इस माहौल का असर एशियाई बाजारों पर भी पड़ा।
जापान का निक्केई 225 इंडेक्स, चीन का शंघाई एसएसई कॉम्पोज़िट इंडेक्स और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स निचले स्तर पर कारोबार कर रहे थे। हालांकि, दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स सकारात्मक क्षेत्र में बना रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक इस समय वैश्विक आर्थिक नीतियों, संभावित व्यापार समझौतों और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव को लेकर सतर्क हैं।
भारत सहित कई उभरते बाजारों में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की ओर से भारी बिकवाली देखी गई है। विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी फंड्स का यह पलायन डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के कारण हो रहा है। इसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार सहित अन्य एशियाई बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है।
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ट्रेड डील पर अनिश्चितता बढ़ने से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं और सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव और अस्थिरता बढ़ी है।
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि वैश्विक स्तर पर व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं मिलते हैं और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है, तो निकट भविष्य में बाजारों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
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