डिंगलेश्वर स्वामी ने समाज में शांति और समानता का संदेश देते हुए कहा कि जब सभी लोगों के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाता है, तब संघर्ष खत्म हो जाते हैं और समाज में स्थायी शांति स्थापित होती है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब असमानता और भेदभाव बढ़ा, तब समाज में अशांति और हिंसा भी बढ़ी।
स्वामी ने यह भी कहा कि अगर भारत में सूफी संत, बसवन्ना जैसे समाज सुधारक और अन्य शरणों का योगदान न होता, तो देश में नदियों की तरह खून बहता। इन संतों और सुधारकों ने अपने उपदेशों और आंदोलनों से समाज में भाईचारा, समानता और अहिंसा का संदेश फैलाया।
डिंगलेश्वर स्वामी के अनुसार, आज भी समाज में कई तरह के भेदभाव मौजूद हैं, जिन्हें खत्म करने के लिए हमें समानता की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि धर्म, जाति या भाषा के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करना न केवल सामाजिक सद्भावना को तोड़ता है बल्कि यह हिंसा और संघर्ष को भी जन्म देता है।
स्वामी ने सभी लोगों से आह्वान किया कि वे संतों और सुधारकों के मार्ग का अनुसरण करें और समाज में शांति और भाईचारा बनाए रखें। उन्होंने कहा कि जब हर व्यक्ति को न्याय और सम्मान मिलेगा, तभी सच्चे अर्थों में लोकतंत्र और मानवता मजबूत होगी।
उन्होंने यह भी जोर दिया कि आने वाली पीढ़ियों को समानता और सहिष्णुता के मूल्यों की शिक्षा देना जरूरी है, ताकि देश में स्थायी शांति और विकास का माहौल कायम हो सके।