केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बार-बार हो रहे व्यवधानों को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इन व्यवधानों से सरकार की तुलना में विपक्ष को अधिक नुकसान होता है क्योंकि इससे उनका एजेंडा दब जाता है और वे जनता से सीधे संवाद करने के मौके खो देते हैं।
रिजिजू ने यह भी कहा कि संसद की कार्यवाही में रचनात्मक बहस और नीति निर्माण की प्रक्रिया की जगह अब व्यवधान और हंगामा ज्यादा देखने को मिलता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर होती जा रही है। उन्होंने मीडिया पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि "नकारात्मक खबरें टीआरपी लाती हैं, न कि रचनात्मक बहस। यह एक दुष्चक्र है जिसमें सांसद और मीडिया दोनों फंसे हुए हैं।"
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई सांसद नीति से जुड़ी कोई महत्वपूर्ण बात करता है, तो उसे शायद ही कवरेज मिलता है, लेकिन जैसे ही कोई नारेबाजी या वॉकआउट होता है, वह प्रमुख खबर बन जाती है। इससे संसदीय गरिमा को ठेस पहुंचती है और आम नागरिक का संसद पर विश्वास कमजोर होता है।
और पढ़ें: अशोक गजपति राजू ने ली गोवा के राज्यपाल पद की शपथ
रिजिजू ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे बहस में भाग लेकर लोकतंत्र को मजबूत करें और अपने विचारों को संसद के माध्यम से सामने लाएं, न कि हंगामे से।
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब संसद के मानसून सत्र के दौरान कई बार कामकाज बाधित हुआ है।
और पढ़ें: आंध्र प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को दर्शाता है कैग डेटा: जगन मोहन रेड्डी