राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने देश के विभिन्न हिस्सों में ईसाई समुदाय के खिलाफ कथित हमलों और प्रार्थना सभाओं में बाधा डाले जाने की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इन घटनाओं को “चिंताजनक और निंदनीय” बताया। यह बयान उन्होंने गुरुवार (25 दिसंबर 2025) को दिया।
The Indian Witness पर एक पोस्ट में गहलोत ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शांति और सद्भाव का संदेश देने के लिए चर्च का दौरा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश के अलग-अलग क्षेत्रों से ईसाई समुदाय के लोगों पर हमलों की खबरें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति एक गंभीर विरोधाभास को दर्शाती है और इससे देश की सामाजिक एकता पर सवाल खड़े होते हैं।
अशोक गहलोत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केवल प्रतीकात्मक कदम या संदेश पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि नफरत फैलाने वालों और धार्मिक आधार पर हिंसा या उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उनके अनुसार, कानून का डर ही ऐसी घटनाओं को रोकने में प्रभावी हो सकता है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत हमेशा से “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना में विश्वास करता आया है, जहां पूरी दुनिया एक परिवार मानी जाती है। उन्होंने कहा कि इसी परंपरा के तहत हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और अपने त्योहार मनाने की पूरी स्वतंत्रता है।
गहलोत ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे कानून के शासन को सख्ती से लागू करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी नागरिक को भय के माहौल में अपने धार्मिक त्योहार मनाने के लिए मजबूर न होना पड़े। उन्होंने कहा कि देश की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और इसे कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
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