नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शनों ने नया मोड़ ले लिया है। शुरुआती दौर में इसे जनरेशन ज़ेड (Gen Z) का आंदोलन माना जा रहा था, लेकिन अब यह पूरे देश का राष्ट्रीय आंदोलन बनता जा रहा है। आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि उनकी मांग सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है बल्कि हर वर्ग की है।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का इस्तीफा, बढ़ते भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई, और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लगे प्रतिबंधों को हटाना शामिल है। उनका कहना है कि लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार और सरकार की जवाबदेही की कमी से आम जनता त्रस्त हो चुकी है।
कई युवा प्रदर्शनकारी खुद भी इस आंदोलन के पैमाने और समर्थन से हैरान हैं। उन्होंने माना कि शुरुआत में यह केवल सोशल मीडिया और छोटे समूहों तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें समाज के हर वर्ग ने भाग लेना शुरू कर दिया। छात्रों, पेशेवरों, व्यापारियों और यहां तक कि ग्रामीण इलाकों से लोग काठमांडू और अन्य शहरों में आकर इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं।
और पढ़ें: नेपाल में दूसरी दिन भी जारी जनरेशन Z का प्रदर्शन, नेताओं के घरों पर हमले
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “यह सिर्फ जनरेशन ज़ेड का आंदोलन नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की आवाज़ बन चुका है। अब यह राष्ट्रीय आंदोलन है जिसमें सभी वर्ग शामिल हैं।”
विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल में इस प्रकार का व्यापक जनाक्रोश सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। यदि सरकार ने जनता की मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो राजनीतिक संकट और गहरा सकता है।
और पढ़ें: नेपाल प्रदर्शन : मृतकों की संख्या 19 पहुँची, गृह मंत्री ने दिया इस्तीफ़ा