कतर के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया है कि वह इज़राइल के खिलाफ कठोर रुख अपनाए और वैश्विक स्तर पर जारी “दोहरे मापदंडों” को सख्ती से अस्वीकार करे। यह बयान उन्होंने आपातकालीन अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों से जुड़ी मंत्रिस्तरीय बैठक में दिया, जब क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इज़राइल की कार्रवाइयों ने न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए भी गंभीर खतरा पैदा किया है। उन्होंने जोर दिया कि यदि अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया, तो मध्य पूर्व में हिंसा और अस्थिरता और गहराएगी।
कतर के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि फिलिस्तीन के लोगों को न्याय दिलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना वैश्विक समुदाय की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अक्सर बड़े देशों के राजनीतिक हित मानवता से ऊपर रखे जाते हैं, जिससे वास्तविक न्याय नहीं हो पाता।
और पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने क़तर पर हमलों की निंदा की, इज़रायल का नाम नहीं लिया
आगामी अरब-इस्लामिक आपातकालीन शिखर सम्मेलन को क्षेत्रीय देशों के बीच सामूहिक रणनीति बनाने का अवसर माना जा रहा है। कतर की कोशिश है कि इस सम्मेलन में इज़राइल की जवाबदेही तय करने और फिलिस्तीन के समर्थन में ठोस कदम उठाने पर सहमति बने।
विशेषज्ञों का मानना है कि कतर का यह रुख मुस्लिम और अरब देशों को एकजुट कर सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर पश्चिमी देशों का रवैया इस मुद्दे पर निर्णायक होगा।
और पढ़ें: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इज़रायली आक्रामकता के खिलाफ मुस्लिम एकता की अपील की