एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने फिलहाल ग्वाटेमाला के बच्चों को वापस भेजने पर रोक लगाने का आदेश दिया है। यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की आव्रजन पर सख्ती के खिलाफ एक और बड़ा कानूनी टकराव माना जा रहा है। न्यायाधीश के इस आदेश से उन संवेदनशील प्रवासियों की सुरक्षा को लेकर बने संसदीय प्रावधानों और प्रशासन की सख्त नीतियों के बीच जारी खींचतान फिर से उजागर हो गई है।
ट्रंप प्रशासन ने अवैध रूप से सीमा पार करने वाले नाबालिगों को तुरंत निर्वासित करने की नीति अपनाई थी। प्रशासन का तर्क है कि इससे सीमा सुरक्षा मजबूत होगी और अवैध आव्रजन पर रोक लगेगी। हालाँकि, कांग्रेस द्वारा बनाए गए विशेष कानूनी प्रावधान कमजोर और असहाय प्रवासियों, खासकर बच्चों, को संरक्षण देने के लिए बनाए गए हैं। न्यायालय ने इन्हीं प्रावधानों के आधार पर प्रशासनिक कार्रवाई पर रोक लगाई।
मानवाधिकार समूहों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बच्चों को बिना पर्याप्त कानूनी प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों के निर्वासित करना अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
और पढ़ें: ट्रंप प्रशासन ने यूसीएलए के 339 मिलियन डॉलर के अनुदान रोके, अधिकार उल्लंघन का आरोप
यह मामला ट्रंप प्रशासन की उस आव्रजन नीति का हिस्सा है, जिस पर लगातार आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश अस्थायी राहत तो है, लेकिन भविष्य में इस पर और कानूनी लड़ाई हो सकती है। अदालत ने साफ किया है कि अंतिम निर्णय आने तक बच्चों को जबरन वापस नहीं भेजा जा सकता।
और पढ़ें: एससीओ शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन, पुतिन से द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे