सरकारी अधिकारियों ने बताया कि आदि कर्मयोगी पहल के अंतर्गत आदिवासी गांवों में सामाजिक और नेतृत्व कौशल विकसित करने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इन सत्रों में प्रतिभागियों को ‘मोमबत्ती जलाना’, ‘भूमिका निभाना’ और ‘गाँठ बांधना’ जैसी गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न कौशल सिखाए जा रहे हैं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य 20 लाख ‘चेंज लीडर्स’ तैयार करना है, जो आदिवासी गांवों में सकारात्मक बदलाव और विकास की दिशा में काम कर सकें। प्रशिक्षण सत्रों को ‘सहभागी’ (participatory) दृष्टिकोण के तहत संचालित किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण समुदाय के सदस्य स्वयं पहल करने और समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम बन सकें।
मोमबत्ती जलाने की गतिविधि प्रतीकात्मक रूप से जागरूकता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाती है। भूमिका निभाने (role-playing) के माध्यम से प्रतिभागी विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों और समस्याओं का अनुभव करते हैं और उनका समाधान सीखते हैं। वहीं, गाँठ बांधने (knot-tying) जैसी गतिविधियों का उद्देश्य टीमवर्क और आपसी सहयोग की भावना को मजबूत करना है।
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इस पहल के माध्यम से युवाओं और ग्रामीणों को सामाजिक नेतृत्व, समस्या समाधान, सामुदायिक सहभागिता और नवाचार के कौशल सिखाए जा रहे हैं। अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि इससे आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोजगार जैसी प्राथमिकताओं में सुधार होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की सक्रिय और सहभागी प्रशिक्षण तकनीकें ग्रामीण विकास और सामुदायिक नेतृत्व को सुदृढ़ करने में प्रभावी होती हैं।
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