इलाहाबाद हाईकोर्ट को दो नए न्यायाधीश मिले हैं। नए नियुक्तियों के साथ ही अदालत में अब कुल 86 जज कार्यरत होंगे, जबकि इसकी स्वीकृत क्षमता 160 जजों की है। इसका अर्थ है कि अब भी अदालत को लगभग आधी क्षमता पर ही काम करना पड़ रहा है।
न्यायपालिका में लंबित मामलों की भारी संख्या को देखते हुए इन नियुक्तियों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है और यहां हर साल लाखों मामलों की सुनवाई होती है। बावजूद इसके, न्यायाधीशों की कमी लंबे समय से एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया नियुक्तियां न्यायिक प्रणाली को कुछ राहत जरूर देंगी, लेकिन स्वीकृत संख्या और वर्तमान कार्यरत जजों की संख्या में अभी भी बड़ा अंतर है। इस वजह से मामलों के निपटारे की गति पर विशेष असर नहीं पड़ेगा।
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गौरतलब है कि न्यायिक पदों की रिक्तियां केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट तक सीमित नहीं हैं। देश के अन्य कई उच्च न्यायालय भी न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार केंद्र और राज्यों से समय पर नियुक्तियां करने और न्यायपालिका को सशक्त बनाने की अपील की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के नए जजों की नियुक्ति को स्वागत योग्य कदम माना जा रहा है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि न्याय व्यवस्था को सुचारू और तेज़ बनाने के लिए और भी व्यापक सुधार तथा समय पर नियुक्तियां जरूरी हैं।
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