बिहार में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं और सामाजिक अभियानों के बावजूद, राज्य में महिला मतदाताओं का अनुपात पुरुष मतदाताओं की तुलना में 15 साल में पहली बार घटा है। यह तथ्य चुनाव आयोग के नवीनतम मतदाता सूची आंकड़ों से सामने आया है।
पिछले डेढ़ दशक से बिहार उन चुनिंदा राज्यों में रहा है, जहां महिला मतदाताओं की भागीदारी लगातार बढ़ती रही थी। 2010 और 2015 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया था, जिससे यह संकेत मिला था कि राज्य की महिलाएं राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
हालांकि, ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि 2024-25 की मतदाता सूची में महिला मतदाताओं का अनुपात घटा है। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासन, विवाह के बाद स्थानांतरण और कई जिलों में मतदाता सूची के अद्यतन में देरी बताया जा रहा है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि महिला मतदाताओं ने हाल के वर्षों में चुनाव परिणामों पर निर्णायक प्रभाव डाला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लागू ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’, ‘लड़कियों की शिक्षा प्रोत्साहन योजना’ और ‘महिला स्वयं सहायता समूहों’ जैसी योजनाओं के बावजूद यह गिरावट प्रशासनिक और सामाजिक कारणों से जुड़ी मानी जा रही है।
चुनाव आयोग ने भी इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह आगामी महीनों में विशेष अभियान चलाकर महिला मतदाताओं के नाम जोड़ने और जागरूकता बढ़ाने पर काम करेगा।
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