अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा गठित केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की शर्तें अत्यंत कठोर और सीमित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग का गठन राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था और इसका क्रियान्वयन अब तक लटकाया गया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों के साथ अन्याय हुआ है।
अमरजीत कौर ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय वेतन आयोग गठित करने की घोषणा की थी, लेकिन यह निर्णय चुनाव के बाद ठंडे बस्ते में चला गया। उन्होंने कहा कि अब बिहार चुनावों के बाद भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि सरकारी कर्मचारी लगभग दो वर्षों से इसके लागू होने का इंतजार कर रहे हैं।
एआईटीयूसी नेता ने कहा कि कर्मचारियों की वेतन वृद्धि, पेंशन संशोधन और महंगाई भत्ते जैसे मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार आयोग की सिफारिशों को तुरंत लागू करे और उसके कार्यक्षेत्र को व्यापक बनाए ताकि निचले स्तर के कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सके।
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अमरजीत कौर ने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों को लगातार बढ़ती महंगाई और अस्थिर आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह कर्मचारियों की वास्तविक आवश्यकताओं और सामाजिक सुरक्षा को नजरअंदाज कर रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर होंगे। एआईटीयूसी का कहना है कि वेतन आयोग का उद्देश्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा होना चाहिए, न कि केवल दिखावा।
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