तमिलनाडु के रानीपेट गांव में उंगलुडन स्टालिन शिविर में एक बुजुर्ग याचिकाकर्ता का व्यवहार विवादों में आ गया है। उन्होंने कई बार एक ही मुद्दे पर विभिन्न अधिकारियों के पास याचिका दी थी, लेकिन इस बार राजस्व अधिकारियों ने उन्हें प्रमाणपत्र या प्राप्ति-पत्र देने से इनकार कर दिया।
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बुजुर्ग याचिकाकर्ता ने पहले भी इसी मामले में कई बार आवेदन दिए हैं, इसलिए उन्हें पुनः मान्यता प्रदान करने की आवश्यकता नहीं समझी गई। हालांकि, इस अस्वीकृति के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक सहायक निरीक्षक (SI) ने याचिकाकर्ता को हड़बड़ाहट में थप्पड़ मारते हुए देखा गया।
यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल गया और इसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। नागरिकों और netizens ने इस घटना की निंदा की और अधिकारियों पर सवाल उठाए कि क्या वरिष्ठ नागरिकों के साथ ऐसे व्यवहार को उचित ठहराया जा सकता है।
और पढ़ें: जनजातीय युवा ने 2000 आदिवासी और दलित युवाओं को उच्च शिक्षा से सशक्त बनाया, अब समर्थन की तलाश
वहीं, स्थानीय प्रशासन ने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और यदि कोई अनुचित कृत्य पाया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं के साथ संवेदनशील और सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासनिक तंत्र में बुजुर्ग और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि सरकारी शिविरों और कार्यालयों में नागरिकों के साथ संवेदनशील व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण और निगरानी महत्वपूर्ण है।
और पढ़ें: आज की प्रमुख खबरें: भारत का शिशु मृत्यु दर 25 पर, केंद्र और मणिपुर सरकार ने कुकी-ज़ो समूहों के साथ समझौता किया