भारत और अमेरिका पारस्परिक शुल्क (रिकिप्रोकल टैरिफ) से जुड़े एक प्रारंभिक व्यापार समझौते के ढांचे को अंतिम रूप देने के बेहद करीब हैं। यह जानकारी वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत निर्णायक चरण में पहुंच चुकी है, हालांकि उन्होंने समझौते के लिए कोई निश्चित समय-सीमा बताने से इनकार किया।
वाणिज्य सचिव के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से व्यापार संबंधों को अधिक संतुलित और पारदर्शी बनाने को लेकर चर्चा चल रही है। प्रस्तावित प्रारंभिक ढांचा समझौता दोनों देशों के बीच शुल्क संबंधी असंतुलन को कम करने और व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि फिलहाल बातचीत उन मुद्दों पर केंद्रित है, जिन पर दोनों पक्षों के बीच कुछ मतभेद बने हुए हैं, लेकिन इन्हें धीरे-धीरे सुलझाया जा रहा है।
राजेश अग्रवाल ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक व्यापार साझेदारों के साथ निष्पक्ष और पारस्परिक लाभ पर आधारित समझौतों को प्राथमिकता देता है। अमेरिका के साथ होने वाला यह समझौता न केवल द्विपक्षीय व्यापार को मजबूती देगा, बल्कि निवेश और आपूर्ति श्रृंखला सहयोग को भी नई गति प्रदान कर सकता है।
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यूरोपीय संघ के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं पर बात करते हुए वाणिज्य सचिव ने कहा कि वहां भी दोनों पक्ष अंतिम चरण में हैं। उन्होंने बताया कि अब केवल वही विषय बचे हैं, जिन पर भारत और यूरोपीय संघ के बीच मतभेद हैं, और उन पर भी धीरे-धीरे सहमति बन रही है। उनका कहना था कि भारत की कोशिश है कि प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसे व्यापार समझौते किए जाएं, जो घरेलू उद्योगों के हितों की रक्षा करते हुए निर्यात के नए अवसर खोलें।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत-अमेरिका और भारत-यूरोपीय संघ के साथ ये समझौते साकार होते हैं, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है और वैश्विक मंच पर भारत की व्यापारिक स्थिति और मजबूत होगी।
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