भारत ने अमेरिका द्वारा तांबे (कॉपर) पर 50% आयात शुल्क लगाए जाने के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में औपचारिक परामर्श की मांग की है। भारत का कहना है कि यह शुल्क अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के विरुद्ध है और भारतीय निर्यातकों के हितों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को तांबे के उत्पाद — जैसे प्लेट, ट्यूब और अन्य अर्ध-निर्मित स्वरूप — लगभग 360 मिलियन डॉलर मूल्य के निर्यात किए थे। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि इतनी ऊंची दर से शुल्क लगाने से न केवल निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, बल्कि भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता भी घटेगी।
भारत ने WTO के विवाद निपटान तंत्र के तहत कहा है कि अमेरिका का यह कदम "संरक्षणवादी नीति" का हिस्सा है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करेगा। परामर्श का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संवाद और समाधान की राह तलाशना है ताकि मामला औपचारिक विवाद में न बदले।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यदि WTO स्तर पर यह मसला हल नहीं हुआ, तो भारत आगे जाकर विवाद पैनल के गठन की मांग कर सकता है। इससे द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है।
भारत का तर्क है कि कॉपर उत्पादों पर इतना अधिक शुल्क न्यायसंगत और तर्कसंगत नहीं है तथा यह मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
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