केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा भेजा गया संदर्भ (Presidential Reference) ‘भ्रामक’ है और यह अदालत से तमिलनाडु राज्यपाल मामले में अपने ही फैसले पर अपील की तरह सुनवाई करने की मांग करता है।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि तमिलनाडु राज्यपाल मामले में 8 अप्रैल को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला द्वारा लिखित फैसले में पहले ही उन सभी सवालों का विस्तार से निपटारा कर दिया गया है, जिन्हें राष्ट्रपति के मई में भेजे गए संदर्भ में उठाया गया है।
केरल ने कहा कि राष्ट्रपति का यह संदर्भ न्यायपालिका की प्रक्रिया के विपरीत है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट से अपने ही पूर्व निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कह रहा है, जबकि ऐसा करने के लिए पहले से ही न्यायिक समीक्षा और पुनर्विचार याचिका का प्रावधान मौजूद है।
और पढ़ें: बिहार SIR विवाद पर सुनवाई LIVE: जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमल्या बागची की पीठ करेगी सुनवाई
तमिलनाडु राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि राज्यपाल संविधान के तहत सीमित शक्तियां रखते हैं और वे निर्वाचित सरकार की सिफारिशों को अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकते। इस फैसले में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच शक्तियों के संतुलन को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए थे।
केरल सरकार ने अदालत से अनुरोध किया कि राष्ट्रपति के संदर्भ को विचाराधीन न रखा जाए क्योंकि यह पहले से तय किए गए कानूनी मुद्दों को दोहराता है और सुप्रीम कोर्ट को अपने ही फैसले की अपील की तरह सुनवाई करने के लिए बाध्य करता है।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि राष्ट्रपति के इस संदर्भ पर सुनवाई आवश्यक है या इसे पूर्व निर्णय के आलोक में खारिज किया जाना चाहिए।
और पढ़ें: सभी 11 दस्तावेज फर्जीवाड़े की आशंका वाले, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग को दी चुनौती